कोरोना काल में परेशान माता-पिता की मजबूरियों का उठाया जा रहा फायदा
मेरठ, विस.। एक तरफ लोग जहां रोटी-पानी को लेकर बेहद चिंतित हैं और कोरोना के चलते हर वर्ग के लोगों की आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है, वहीं इस बीच हर मुसीबतों में भी अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर हमेशा से ही चिंतित रहने वाले माता-पिता इस कोरोना काल में भी स्कूल और किताबें बेचने वाले दुकानदारों के चक्रव्यूह में पिसते नजर आ रहे हैं। स्कूल प्रशासन और दुकानदारों की मनमानी इस कदर हावी हो चुकी है कि अभिभावक इनके खिलाफ मोर्चा खोलने का प्रयास तो करते हैं, परंतु उस दौरान उनके समक्ष बच्चों का भविष्य आड़े आ जाता है जिसके चलते उन्हें मजबूर होकर चुप्पी साधनी पड़ जाती है।
बताते चलें कि सदर बाजार स्थित भगवान बुक डिपो के संचालक का रविवार को एक नया कारनामा उस समय देखने को मिला जब एक माता-पिता अपनी सोफिया में पड़ने वाली बच्ची की किताबें खरीदने इनकी दुकान पर पहुंचे तो दुकान संचालक ने उन्हें किताबें तो मुहैया करा दी, लेकिन किताबें मुहैया कराने का तरीका अजब-गजब था, जिसे देख माता-पिता हैरान रह गए। दरअसल दुकानदार ने किताबें दिखाने से पूर्व ही रुपयों की मांग की इसके अलावा उनसे कहा गया कि किताबें देने के बाद यदि उसमें कोई बदलाव उनके द्वारा किया जाता है तो उन किताबों को बदला नहीं जाएगा। दुकानदार की इस मनमानी का उन्होंने विरोध भी किया परंतु उनकी उसके आगे एक ना चली और वह दोनों हारकर अपनी बच्ची की किताबें बिना लिए ही वहां से लौट गए।
स्कूल की किताबें चिन्हित दुकानों पर मिलने से परेशान हैं अभिभावक
स्कूलों की किताबें चिन्हित दुकानों पर ही मिलने की परेशानियां लगातार सामने आती रहती हैं। आरोप है कि स्कूल प्रशासन और दुकानदारों की मिलीभगत के चलते अभिभावकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें मजबूर होकर स्कूल संचालकों के मनमुताबिक कीमतों पर ही कॉपी-किताबें खरीदनी पड़ती हैं, जिसके चलते उन्हें भारी फटका लगता है।
कुछ अभिभावकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दुकानदारों से स्कूल प्रशासन का मुनाफा तय होता है और उनके द्वारा नए सत्र के शुरुआती दौर में ही दुकानदार चिन्हित कर लिए जाते हैं कि उक्त स्कूल की किताबें उस दुकान पर मिलेंगी।
मजबूर माता-पिता स्कूल और इन दुकानदारों की चल रही मनमानी के आगे बेबस हैं और उनके द्वारा लगातार किए जा रहे उत्पीड़न को सहन करने के लिए मजबूर हैं।